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पहाड़ से ऊँचा आदमी - Mountain Man

AchchiKhabar.Com: पहाड़ से ऊँचा आदमी - Mountain Man

Sunday, 12 December 2010

पहाड़ से ऊँचा आदमी - Mountain Man



पहाड़ से ऊँचा आदमी 


Dashrath Manjhi
 
आज AchchiKhabar.Com पर हम आपको मिलवायेंगे एक ऐसे महान व्यक्ति से जिसके बारे मे सुन कर यकीं नहीं होता कि इस धरती पर ऐसे इंसान भी जन्म लेते हैं.ऐसा साहस, ऐसी दृढ इच्छा शक्ति, ऐसा संयम जो आपने शायद ही पहले किसी और व्यक्ति में देखा होगा. तो आइये मिलते हैं अच्छीख़बर.कॉम के इस महान  REAL HERO से. 

आपने कई बार लोगों को यह कहते सुना होगा कि अगर इंसान चाहे तो वह पहाड़ को भी हिला कर दिखा सकता है . और आज हम आपको ऐसे ही व्यक्ति से रूबरू करा रहे हैं जिन्होंने अकेले दम पर सच-मुच पहाड़ को हिला कर दिखा दिया है.    

मैं बात कर रहा हूँ गया (Gaya) जिले के एक अति पिछड़े गांव गहलौर(Gahlaur) में रहने वाले Dashrath Manjhi ( दशरथ मांझी) की। गहलौर एक ऐसी जगह है जहाँ पानी के लिए भी लोगों को तीन किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. वहीँ अपने परिवार के साथ एक छोटे से झोपड़े में रहने वाले
पेशे से मजदूर श्री  Dasrath Manjhi ने गहलौर पहाड़ को अकेले दम पर चीर कर 360 फीट लंबा और 30  फीट चौड़ा रास्ता बना दिया. इसकी वजह से गया जिले के अत्री और वजीरगंज ब्लाक के बीच कि दूरी 80 किलोमीटर से घट कर मात्र 3 किलोमीटर रह गयी. ज़ाहिर है इससे उनके गांव वालों को काफी सहूलियत हो गयी.
Dashrath Manjhi
 
और इस पहाड़ जैसे काम को करने के लिए उन्होंने किसी dynamite या मशीन  का इस्तेमाल नहीं किया, उन्होंने तो सिर्फ अपनी छेनी-हथौड़ी से ही ये कारनामा कर दिखाया. इस काम को करने के लिए उन्होंने ना जाने कितनी ही दिक्कतों का सामना किया, कभी लोग उन्हें पागल कहते तो कभी सनकी, यहाँ तक कि घर वालों ने भी शुरू में उनका काफी विरोध किया पर अपनी धुन के पक्के Dasrath Manjhi ने किसी की न सुनी और एक बार जो छेनी-हथौड़ी उठाई तो बाईस साल बाद ही उसे छोड़ा.जी हाँ सन 1960 जब वो 25 साल के भी नहीं थे, तबसे हाथ में छेनी-हथौड़ी लिये वे बाइस साल पहाड़ काटते रहे। रात-दिन,आंधी-पानी की चिंता किये बिना Dashrath Manjhi नामुमकिन को मुमकिन करने में जुटे रहे. अंतत: पहाड़ को झुकना ही पड़ा. 22 साल (1960-1982) के अथक परिश्रम के बाद ही उनका यह कार्य पूर्ण हुआ. पर उन्हें हमेशा यह अफ़सोस रहा कि जिस पत्नी कि परेशानियों को देखकर उनके मन में यह काम करने का जज्बा आया अब वही उनके बनाये इस रस्ते पर चलने के लिए  जीवित नहीं थी.

दशरथ जी के इस कारनामे के बाद दुनिया उन्हें Mountain Cutter और  Mountain Man के नाम से भी जानने लगी. वैसे पहले भी रेल पटरी के सहारे गया से पैदल दिल्ली यात्रा कर जगजीवन राम और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मिलने का अद्भुत कार्य भी दशरथ मांझी ने किया था. पर पहाड़ चीरने के आश्चर्यजनक काम के बाद इन कामों का क्या महत्व रह जाता है?

हम यहां पर आपको दिखा रहे हैं हिंदी दैनिक हिंदुस्तान में छपा दशरथ मांझी जी का interview.

Click on the image to enlarge it
Dashrath Manjhi News
   
We  appreciate Hindustan News Paper reporter Vijay Kumar  for covering this inspiring good news in Hindi.
  
सन 1934 में जन्मे श्री दशरथ मांझी का देहांत 18 अगस्त 2007 को कैंसर की बीमारी से लड़ते हुए दिल्ली के AIIMS अस्पताल में हुआ.इनका अंतिम संस्कार बिहार सरकार द्वारा राजकीय सम्मान के साथ किया गया. भले ही वो आज हमारे बीच न हों पर उनका यह अद्भुत कार्य आने वाली कई पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा .


क्या सन्देश देती है दशरथ मांझी कि ये मिसाल :

  • अगर इंसान चाहे तो सच-मुच पहाड़ हिला सकता है. वह कोई भी बड़ा से बड़ा असंभव दिखने वाला काम कर सकता है.
  • सफलता पाने के लिए ज़रूरी है की हम अपने प्रयास में निरंतर जुटे रहे . बहुत से लोग कभी इस बात को नहीं जान पाते हैं कि जब उन्होंने अपने प्रयास छोड़े तो वह सफलता के कितने करीब थे.
  • सफल होने के लिए संयम बहुत ज़रूरी है. जिंदगी के बाईस साल तक कठोर मेहनत करने के बाद फल मिला दशरथ जी को.
  • कौन कहता है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता .... फोड़ सकता है.
  • निश्चल मन से समाज के लिए काम करने वाले कर्मयोगी अवश्य सफल होते हैं और ऐसे व्यक्ति ही इश्वर के सबसे करीब होते हैं.



We are grateful to Gaurav Kamboj for suggesting this inspiring good news.

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13 Comments:

At Sunday, December 12, 2010 , Blogger Chandan said...

owesome!

 
At Sunday, December 12, 2010 , Blogger Unknown said...

very nice

 
At Wednesday, December 15, 2010 , Blogger Antra said...

I like this post. I wasn't really looking for your website to tell you the truth but i somehow found it and i gotta say I have no regrets about it. Please keep producing wonderful content such as this blog entry. Much appreciated.

 
At Wednesday, December 15, 2010 , Blogger Unknown said...

Thanks for the guidelines you are providing. This will sure help us in future.

 
At Sunday, July 10, 2011 , Blogger sunny said...

awesome... historyy.... dshrath g ko mera salaam...

 
At Wednesday, July 13, 2011 , Anonymous Anonymous said...

Sir aap ka yeh Lekh padh kar bahut Khushi Hui.
Haan Insaan agar thaan le to kuchh bhi kathin nahin.
Mera Dhanyavaad Shri Dashrath ji ko, yeh duniya ko aur vishses kar un logon ko jo aashavaan nahi hote dikhaane ke liye ki Nirantar Prayaas Insaan ko safal banata hai.

Yeh Lekh padhkar mujhe film "Disha" ki yaad aayi, jis mein Om Puri ne Dashrath ji Jaisa role kiya tha.

Thanks lot for wondeful post
Iftekhar
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At Wednesday, July 20, 2011 , Blogger Smart Indian said...

नमन है ऐसे ज़िद के पक्के जनसेवकों को! कौन कहता है कि अकेला चना भाड नहीं फ़ोड सकता?

 
At Thursday, August 13, 2015 , Anonymous Anonymous said...

Me dasarath manjhi g ko salam karta hu wo hamare dilo me hamesa amar rahenge

 
At Saturday, August 29, 2015 , Blogger Unknown said...

Dashrath ji ko mera dil se salaam hai....jinhone sikhaya ki....koi bhi kaam muskil nai hai ....bas jonoon hona chaiye...

 
At Monday, August 31, 2015 , Blogger Sufimrankhan said...

jab bhi koi accha mukam hasil karunga. Inko yaad karunga

 
At Monday, August 31, 2015 , Blogger Sufimrankhan said...

jab bhi koi accha mukam hasil karunga. Inko yaad karunga

 
At Saturday, May 20, 2017 , Blogger Unknown said...

शब्द ही नही है बाबा आपके लिए, आज आप नही है लेकिन आप हमेशा हजारो भारतीयों के दिलो मैं जिंदा रहेंगे।

 
At Sunday, August 27, 2017 , Blogger Unknown said...

jab bhi koi accha mukam hasil karunga. Inko yaad karunga

 

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