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AchchiKhabar.Com

AchchiKhabar.Com: January 2011

Saturday 22 January, 2011

An Information

Dear friends,

Project assignment पे  मैं आज  Helsinki, फिनलैंड पहुँच गया . इसी की तयारी करने कि वजह से मैं  इस महीने Blog  पे ज्यादा  active नहीं रह पाया. उम्मीद करता हूँ कि काम कि व्यस्तता के बावजूद मैं आने वाले दिनो में आपके साथ कुछ अच्छी posts share  कर पाऊंगा . 

मैं  AchchiKhabar.Com  के शुभचिंतकों से अनुरोध करता हूँ कि कृपया अपना सहयोग प्रदान करते रहे और यदि संभव हो तो अपनी तरफ से कुछ अच्छे Hindi Articles हमारे साथ share करें. 

Thanks.
Gopal Mishra

Saturday 15 January, 2011

ये दोस्त…...और इनकी दोस्ती......!

Dear friends,

शायद ही कोई ऐसा बदनसीब हो जिसके friends न हों. कभी आपने सोचा  है  कि अगर ये friends  ना होते तो ये life कितनी boring होती . आज अच्छीखबर.कॉम पर हम आपके साथ Mrs Shikha Mishra द्वारा Friendship पे लिखा एक बेहेतरीन Hindi Article share कर रहे हैं. इसे पढ़कर निश्चित रूप से आपका Friendship पे विश्वास और भी बढ़ जायेगा.

Title: ये दोस्त...और  इनकी  दोस्ती......!
Authored By: Mrs. Shikha Mishra
Profession:  Lecturer ( Psychology)


 ये दोस्त...और  इनकी  दोस्ती......!

वो  जो  बचपन  की  अटखेलियों  में  दिन  रात  होते  हैं ,
जवानी  के  जोशो  उमंग  में  जिनके  जज़्बात  होते   हैं ,
हर  मुश्किल  में  काँधों  पे  जिनके  हाँथ  होते  हैं ,
कोई   और  नहीं  बस  वो  दोस्त  हैं  हमारे
जीवन  की  हर  राह  पर   जो  साथ  होते  हैं .

मानव एक  सामाजिक प्राणी है  और  सामाजिक  होने  का  अर्थ  है किसी   समाज का हिस्सा होना. हर व्यक्ति  की  एक अलग  society होती  है  जो  उसके  अपने  relationship   पर  depend    करती  है .इसलिए  मानव  के  लिए  संबंधों  का  बहुत  अधिक  महत्व   है  जिसके  सहारे  वो  अपना  सारा  जीवन व्यतीत   करता  है. . मानव  दो   तरह  के  संबंधों  से  जुड़ा  है  पहले   वो  जो  जन्म  से  ही    उसके  साथ  होते  हैं और दूसरे   वो  जिसे  वो  अपनी  ख़ुशी  या  पसंद  से  बनाता  है. 

आप   के  माता  -पिता  या  रिश्तेदार  कौन  होंगे ,आपके  स्कूल  के  principal कौन  होंगे, boss कौन  होंगे , colleagues कौन  होंगे  या  पड़ोसी  कौन  होंगे  ये  आप  decide नहीं  कर  सकते.हाँ !एक  ऐसा   सम्बन्ध  ज़रूर   है  जिसे  आप  अपनी  इच्छा  से  चुनते  और  जोड़ते  हैं  और  वो  है 'दोस्ती'. दोस्त हम  कई  लोगों  में  से  कुछ  लोगों  को  ही  बनाते  हैं .

कुछ  लोग  शायद  ये  नहीं  जानते  कि  भले  ही  friendship   एक  secondary relationship है  पर  फिर  भी वो life की   सबसे   important relationship  है .इस  relation का  अगर  थोड़ा  सा  भी   हिस्सा  किसी  और   relation  में  मिला  दिया  जाये  तो  उस  रिश्ते  का  रूप  ही बदल  जाता  है ."My mom is my best friend", "My life partner is my best friend" ये  कहते  हुए  भी  अच्छा  लगता  है  और  सुनते  हुए भी .किसी  बच्चे  को  अपने  माता -पिता ,किसी  student  को  अपना teacher, किसी  employee को  अपना  boss या  किसी  व्यक्ति  को  अपना   life-partner  तभी  अच्छा  लगता  है   जब    उनमें  एक अच्छा  दोस्त  दिखाई  देता  है. तो बिना  किसी  संदेह  के  दोस्ती  एक  ऐसा  relation  है  जिसे   हम जाने-अनजाने  बाकी सभी  relations में खोजने   कि  कोशिश  करते  हैं.

दोस्त  अक्सर  समानता , समीपता ,frequent  interaction या  common goals के  कारण  बन  जाते  हैं . जिन  लोगों  को  हम  अपने  समान  या  अपने  आस -पास  आसानी  से उपलब्ध  पाते  हैं  उनसे  हम  दोस्ती  कर  लेते  हैं . ये  relation किसी  जाति   को धर्म  को  या  किसी  उम्र  को  नहीं   मानता .यही  अकेला  एक  ऐसा  रिश्ता  है  जो human relation को  show करता    है क्योंकि बाकी सभी संबंधों को हम इसलिए  निभाते  हैं क्यों कि वो हमारे साथ पहले से ही जुड़े हुए हैं या हमारे पास उन्हें निभाने के आलावा कोई option  नहीं होता.  
 
किसी relation को अगर आप कोई नाम नहीं दे सकें तो उसे दोस्ती का नाम आसानी से दिए जा सकता है. ये  give and take के  rule को  follow नहीं  करता , हाँ  अगर ऐसी  किसी  relation  में  ऐसा  कोई  rule है तो  आपको  दोस्ती  का   सिर्फ  एक  भ्रम  है .

आज     के  competitive world में  अक्सर   लोगों  को  अपने  परिवार  से  दूर    जाना  पड़ता  है  पर आपने  कभी  ध्यान  से  सोचा  है  कि उस  अकेलेपन  के  लम्बे  समय  को  रोमांचक  बनाकर  आसानी से काटने  में  आपकी  मदद  कौन  करता  है ; कोई  और  नहीं  बस  आपके  दोस्त . इसमें  किसी  formality   या  किसी  discipline कि  मांग   नहीं  होती .अपने  दोस्तों  से   अपने दिल  कि  बात  कहने  के लिए  आपको  किसी  खास  समय  का  इंतज़ार  नहीं  करना  पड़ता .आप  ये  नहीं  सोचते  कि आपके  दोस्त  क्या   सोचेंगे . और  अगर  क्षण  भर  के  लिए  ये  विचार    आपके   मन  में  आता  भी  है तो आप  कहते  है  'तो  क्या  हुआ  दोस्त  ही  तो  है  ज़रूर  समझ   जायेगा!!! '.

कहते  हैं  दुनियां  में  मंहगी से  महंगी  जगह  घर  बनाना  फिर  भी  आसान  है  पर  किसी  के  दिल  में सच्ची  जगह  बनाना  बहुत  ही मुश्किल है . इसलिए  सच्चा   दोस्त  मिलना  उतना  आसन  भी  नहीं होता . अगर सोचें तो दोस्त  हमारे  सबसे  अच्छे  teachers  होते  हैं  क्योंकि  वो  हमें  अपने  आप  से इमानदार  होना  सिखाते  हैं  हमें   उनके  सामने  कोई   ideal  role play करने  कि  ज़रुरत  नहीं  होती  है . जिन  लोगों  के  जीवन में  दोस्तों  कि  कमी  होती  है  वो  depression के   शिकार  भी  जल्दी  होते  हैं . एक  अच्छा  दोस्त  आपकी  व्यक्तित्व  को  भी  निखारता    है .

ये  relation जितना  पुराना  होता  है  उतना  ही  गहरा  होता जाता  है.लेकिन  कई  बार  हम    सच्चे  दोस्त  और सिर्फ  दोस्त  में  अंतर नहीं कर  पाते .अगर  आप  हजारों  से  मिलते  हैं  तो वो  सारे  आपके  अच्छे  दोस्त  या  शुभचिंतक  नहीं हो  सकते .अच्छे  दोस्त  आपको  कभी  misguide  नहीं करते  और  मदद के लिए  हमेशा  तैयार  रहते  हैं . हाँ  अगर  आप  ग़लत  हैं  तो  आप  का विरोध  भी  करते  हैं  लेकिन  जीवन  के  किसी  भी  मोड़  पर  आप  पलट   के  देखें  तो  वो  हमेशा  आप के  लिए  खड़े  होंगे .

सोचिये  कि  उस  व्यक्ति  का  जीवन  भी  क्या  जीवन  है  जिसके कई रिश्तेदार  तो  हैं  पर कोई   दोस्त   नहीं  है .आप  अपनी  हर  छोटी - बड़ी  बात  उस  व्यक्ति   से  share  करते  हैं  जिसे  आप अपना  सबसे  अच्छा  दोस्त  समझते  हैं  फिर  चाहे  वो  आपके  parents  हों , आप  का  life-partner  हो या  कोई  अन्य . दोस्ती   का  कोई   भी  रूप  हो सकता  है .

एक  बात  ज़रूर  याद रखिये  कि   इस  प्यारे  से  unconditional रिश्ते  को  भी   attention   कि   उतनी ही   ज़रुरत  होती    है जितनी कि किसी और रिश्ते को. इसे   लम्बे  समय   तक  चलाने  के  लिए empathy और  प्यार  कि  भावना से  सींचना  पड़ता  है . तो  अगर  किसी  भी  रिश्ते  में  मिठास  लानी  है तो  उसमें  दोस्ती   कि  थोड़ी  से  चाश्नी  तो  डालनी  ही पड़ेगी !


मशहूर  शायर  नासिर  जी  ने  क्या  खूब  कहा  है - 

"आज  मुश्किल था  संभलना    दोस्त,
तू  मुसीबत  में अजब  याद  आया ,
वो  तेरी  याद  थी ; अब  याद आया"

Dedicated to all my dear friends.
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Thanks Shikha for  sharing this excellent Hindi article on AchchiKhabar.Com
 
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