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क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?

AchchiKhabar.Com: क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?

Wednesday 9 March, 2011

क्षमा करना क्यों है ज़रूरी?

Dear friends, 
इस ज़िन्दगी में इंसान से जाने-अनजाने गलतियाँ होती रहती हैं. जब हम खुद गलती करते हैं तो लगता है कि काश सामने  वाला माफ़ कर दे...पर जब किसी और से गलती होती है तो हम रूठ कर बैठे जाते हैं. और आज AchchiKhabar.Com पर हम इसी subject,यानि Forgiveness पे Mrs. Shikha Mishra द्वारा लिखा एक बेहेतरीन Hindi Article share कर रहे हैं. इसे पढने के बाद Forgiveness के विषय में मेरी सोच निश्चित रूप से बेहतर हुई है.उम्मीद है इस article को पढने के बाद Forgiveness को लेकर आपके नज़रिए में भी एक बेहतर बदलाव आएगा.


ज़रा सा माफ़ कीजिये .......

'Be a human' ये phrase आपने अपनी life में कितनी बार सुना होगा और बोला होगा, पर इसके गहरे अर्थ को समझने की कोशिश हम कितनी बार करते हैं. 'Respect begets respect' and 'love begets love' यानि 'respect के बदले में respect और love के बदले में love 'क्या हमेशा ऐसा ही हो ये ज़रूरी है? याद कीजिये अपने जीवन का कोई ऐसा पल जब आपने बिना ये सोचे किसी की मदद की हो कि बदले में मुझे क्या मिलेगा या इसकी मुझे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी. ईश्वर ने इंसान को बहुत सारी अच्छाइयों और positive qualities से सजाया है.  उन अच्छाइयों में एक अच्छाई है परोपकारी व्यवहार या altruistic behaviour.  ये एक unselfish concern है दूसरों की सहायता करने का. हम अपनी life  में लोगों की मदद कई बार करते हैं पर सोचने वाली बात ये है कि ये मदद कितनी बार बदले में कुछ न पाने की  भावना से प्रेरित होती  है.  न चाहते हुए भी कहीं न कहीं हमारे मन में एक expectation या उम्मीद जन्म ले लेती है कि हमे भी इस उपकार  के बदले में ज़रूर कुछ मिलेगा, कुछ नहीं तो बदले में एक thank  you की  उम्मीद तो हो ही जाती है.  
 
 तो ऐसा कौन सा उपकार है जो इस तरह  की उम्मीद या भावना से परे है? ऐसा कौन सा उपकार है जो दूसरों के लिए तो अनमोल है पर मदद देने वाले के लिए बहुत ही आसान और सस्ता.  वो  उपकार है किसी को किसी की ग़लती के लिए क्षमा करना...forgive करना. किसी को किसी की भूल के लिए क्षमा करना और आत्म ग्लानि से मुक्ति दिलाना एक बहुत बड़ा परोपकार है.  क्षमा  करने की  प्रक्रिया में क्षमा करने वाला क्षमा पाने वाले से कहीं अधिक सुख पाता  है.  अगर सोचा जाये तो छोटी से छोटी या बड़ी से बड़ी ग़लती को कभी भी past में जा कर संवारा नहीं जा सकता , उसके लिए क्षमा से अधिक कुछ नहीं माँगा जा सकता है.  अगर आप किसी की भूल को माफ़ करते हैं  तो उस व्यक्ति की  सहायता तो करते ही हैं साथ ही साथ स्वयं की सहायता भी करते हैं.  क्षमा  करने  के  लिए व्यक्ति को अपनी ego  से ऊपर उठ कर सोचना पड़ता है जो कि एक कठिन काम  है और  सिर्फ एक सहनशील व्यक्ति ही इसे कर सकता है.  कभी आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में हम कितनो को क्षमा करते हैं और कितनो से क्षमा पाते  हैं. कितना आसान है किसी से एक शब्द sorry कह कर आगे निकल जाना और बदले में अपने आप ही ये सोच लेना कि उस व्यक्ति ने हमे माफ़ भी कर दिया होगा.  क्या होता अगर हमारे माता- पिता हमारी भूलों के लिए हमें क्षमा नहीं करते? क्या हो अगर ईश्वर  हमें  हमारे अपराधों के लिए क्षमा करना छोड़ दे . इसलिए अगर हम किसी को क्षमा नहीं कर सकते तो हम  ईश्वर से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.   किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि  किसी को किसी की भूल के लिए माफ़ ना करना बिल्कुल ऐसा ही है जैसे ज़हर खुद पीना  और उम्मीद करना कि उसका असर दूसरे पर हो.  सोचिये कि अगर क्षमा नाम का परोपकार इस दुनिया में ना हो तो  कोई किसी से कभी प्रेम ही नहीं कर पायेगा...love is nothing without forgiveness and forgiveness is nothing without love.

कोई भी परोपकार करने के लिए जो सबसे पहली और आवश्यक चीज़ आपके पास होनी चाहिए वो है आपकी ख़ुशी.  हर इन्सान को किसी भी काम को करने से पहले अपनी ख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सुनने में थोड़ा अजीब लगता है न कि अपनी ख़ुशी पहले कैसे रखें जबकि हमेशा  से ये ही सीखते आये हैं  कि अपनी ख़ुशी का sacrifice  करके भी दूसरों की ख़ुशी पहले देखनी चाहिए.  सवाल ये भी उठता है कि अगर अपनी ख़ुशी पहले देखेंगे  तो परोपकार कैसे करेंगे? दोनों एक दूसरे के बिल्कुल opposite हैं.  तो उत्तर ये है कि अगर आप किसी की  मदद बाहरी  प्रेरणा या extrinsic motivation की  वजह से कर रहे हैं तो वो परोपकार है ही नहींपरोपकार तो वो होता है जिसका स्रोत आंतरिक प्रेरणा या intrinsic motivation होता है.  शायद आप ये नहीं जानते कि आप दूसरों को ख़ुशी तब ही दे पाएंगे जब आप स्वयं खुश होंगे.  Sacrifice करना एक अच्छी बात है लेकिन वहीँ जहाँ sacrifice करने से आपको ख़ुशी मिल रही हो.  अगर कोई अपनी ख़ुशी को बार- बार मार कर sacrifice करता है तो एक दिन वो frustration का रूप ले लेता है जिसके negative effects भी हो सकते हैं.  ये human  nature है कि अगर हम अपने जीवन से परेशान या दुखी हैं तो दूसरों के खुशहाल जीवन को देख कर हम सच्चे मन  से उसे कभी appreciate  नहीं कर सकते. एक हारा हुआ इंसान कभी भी किसी जीतने वाले इंसान को सच्चे मन से बधाई नहीं दे पाता इसके पीछे उसकी कोई दुर्भावना नहीं होती बल्कि अपनी ही आत्मग्लानि होती है. इसलिए किसी का भी कल्याण करने की पहली सीढ़ी है अपने मन की ख़ुशी और संतुष्टि  और क्षमा करने की प्रक्रिया में भी यही  नियम लागू होता है. एक प्रसन्न रहने वाला व्यक्ति दूसरों को अधिक देर तक अप्रसन्न नहीं देख सकता. ऐसा कहा जाता है कि जिसके पास जो होता है वही वो दूसरों को देता है. जो वस्तु आप के पास उपलब्ध ही नहीं वो आप किसी को कैसे  दे सकते है? आम के पेड़ से हमेशा आम ही प्राप्त करने की उम्मीद की जा सकती है किसी और फल की नहीं.  ये याद रखिये कि अगर आप अन्दर से positive हैं  और खुश हैं तो अपने आस- पास भी positivity ही फैलायेंगे.  "idiots neither forgive nor forget, naive forgets but not forgive but a kind person forgives but never forgets."  " मूर्ख व्यक्ति ना क्षमा करते हैं न भूलते हैं , अनुभवहीन व्यक्ति भूल जाते हैं ,पर क्षमा नहीं करते , लेकिन एक दयालु व्यक्ति क्षमा कर देता है पर भूलता नहीं."
  
इसलिए अगर अपनी रोज़ की ज़िन्दगी में आप लोगों  को क्षमा करते हैं तो ये आप  का अनजाने  में उनपर  किया  गया   सबसे  बड़ा  उपकार  होता  है  जिसकी  आपको  कुछ  भी  कीमत  नहीं चुकानी  पड़ती .........
कहा भी गया  है -
'to err is a human but to forgive is a divine'  

माफ़ करना अँधेरे कमरे  में रौशनी करने जैसा होता है,  जिसकी रौशनी में माफ़ी मांगने वाला और माफ़ करने वाला दोनों एक दूसरे को और करीब से जान पाते हैं. माफ़ करके आप किसी को एक मौका देते हैं अपनी अच्छाइयों को साबित करने का. सोचिये कि अगर द्रौपदी ने अपने अपमान के लिए दुर्र्योधन को  क्षमा कर दिया होता तो शायद  महाभारत के उस युद्ध में इतना नरसंहार  हुआ होता. क्यों कहा जाता है कि मरने वाले को हमेशा क्षमा कर देना चाहिए ? क्या सचमुच इसलिए कि उस इंसान को फिर कभी माफ़ी मांगने का मौका नहीं मिलेगा या इसलिए कि आपको फिर उसे  कभी माफ़ करने का मौका न मिले?

तो अगर हम किसी ज़िन्दगी की सूखी ज़मीन पर माफ़ी की दो- चार बूंदों की बारिश कर पायें  तो हो सकता है कि उस  सूखी ज़मीन पर आशाओंऔर मुस्कुराहटों के फूल खिल उठें.

तो ज़िन्दगी में रुठिये, मनाइए, शिकवे और मोहब्बत भी कीजिये पर सुनिए!!!!!!! 'ज़रा सा माफ़ भी कीजिये'  


We are grateful to Mrs.Shikha Mishra for sharing this good quality and  thoughtful HINDI article on Forgiveness with AchchiKhabar.Com. Thanks a lot !

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27 Comments:

At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Gopal Mishra said...

Dear Shikha, I think i have never read such a beautiful and meaningful article on Forgiveness before. I am sure people are benefiting from your write-ups. Thanks a lot.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Chandan said...

Yeah.....Thanks a lot shikha.....It's a very awesome article.....really good....

thanks

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Prabaht Rai said...

Gr8 articles....Thanks a lot for sharing this type of article...

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Jason Matthew said...

nice blog.. thanks for sharing this useful and informative knowledge with us.. it will be very helpful for everyone..

Thanks !!

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Anonymous rupak said...

wow ,
nice thoughts
thanks for the sharing your knowledge
tanks

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Antra said...

Thanks for sharing this useful information! Hope that you will continue with the kind of stuff you are doing.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Antra said...

Easy option to get useful information as well as share good stuff with good ideas and concepts.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger sjflksd said...

Shikha really nice thoughts.
i appreciate and like these thoughts very much.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Rakesh said...

Really Nice thought.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Raju Ranjan Yadav said...

Its really very nice thoughts.
Good ideas and concepts.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger cherry said...

Good ideas and good concepts

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger michael said...

I liked this blog very much, will keep on watching regularly.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Govind said...

Nice thinking!!!!!!!!!!!

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger mohit said...

Nice Article Frnd.... Guddd.

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Honaa said...

U put a nice article on board .... thanx keep it up...

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger angel said...

Nice article...like it ..

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Anonymous Anonymous said...

पहले वे आपकी अनदेखी करेंगे, फिर आपका मजाक उड़ाएंगे, फिर वे आपका विरोध करेंगे और फिर आप जीत जाएंगे

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger प्रवीण पाण्डेय said...

क्षमा बड़न को चाहिये..
बहुत ही अर्थपूर्ण आलेख।

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Exam info said...

Such a great post it's seems i am waiting such good writeup.....i wnat to just say...

muddat se thi kisi se milne k aarzu,,
khwahish-e-deedar me sab kuch gawan diya,,
kisi ne di khabar k wo ayenge rat ko,
itna kiya ujala k ghar tak .......jala diya..

thanks

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Naresh Yaduvanshi said...

Good Concept..............

 
At Wednesday, March 09, 2011 , Blogger Unknown said...

Great article ..............

 
At Thursday, March 10, 2011 , Blogger Unknown said...

a million of thanks to all for your appreciation and encouragement. Its a geat motivation to do better work in future.thankssssssssss

 
At Friday, March 11, 2011 , Blogger Unknown said...

nice thinking yar.

 
At Saturday, March 12, 2011 , Anonymous olivacute@gmail.com said...

Hiiiii Dost,
Your Thought Are Very Nice
Dosti achchi ho toh rang laati hai, Dosti gehri ho toh sabko bhaati hai, Dosti naadaan ho toh toot jaati hai, Par agar dosti apne jaisi ho…. …. Toh itihaas banaati hai !

Thanks To You

 
At Saturday, March 12, 2011 , Blogger Gopal Mishra said...

@olivacute: wah wah...kya baat kahi hai aapne dosti pe.

 
At Monday, March 14, 2011 , Blogger ZEAL said...

I'm lovin' the article.

 
At Friday, May 20, 2011 , Blogger Unknown said...

Knowledgable article, I think everyone should read and bring it your practical life

 

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